तारीफ में पढ़े कसीदे, जानिए कौन हैं काश पटेल?,डोनाल्ड ट्रंप ने एक गुजराती को बनाया FBI का डायरेक्टर

    अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के डायरेक्ट पद के लिए अपने विश्वासपात्र काश पटेल को नामित किया है। इसी के साथ काश पटेल आगामी प्रशासन में सबसे ऊंची रैंक के भारतीय अमेरिकी बनेंगे। इसी के साथ ही ट्रंप ने न्यूयॉर्क के रियल एस्टेट डेवलपर चार्ल्स कुशनर को फ्रांस में अपना राजदूत नामित किया है।

    अमेरिका को प्राथमिका देने वाले’ योद्धा हैं पटेल- ट्रंप

    डोनाल्ड ट्रंप ने अपने स्वामित्व वाले सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि ‘काश’ पटेल एफबीआई के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे। काश एक बेहतरीन वकील, जांचकर्ता और ‘अमेरिका को प्राथमिका देने वाले’ योद्धा हैं, जिन्होंने अपने करियर के दौरान भ्रष्टाचार को उजागर किया और न्याय तथा अमेरिका के लोगों की रक्षा की।’

    पहले कार्यकाल के दौरान किया शानदार काम- ट्रंप

    इसके साथ ही ट्रंप ने कहा, ‘काश ने मेरे पहले कार्यकाल के दौरान शानदार काम किया। इस दौरान वह रक्षा विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ, राष्ट्रीय खुफिया के उप निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद रोधी विभाग के वरिष्ठ निदेशक रहे। काश ने अदालत में हुई 60 से अधिक सुनवाई में प्रशासन की तरफ से पैरवी भी की।’

    गुजरात से है काश पटेल का नाता

    बता दें कि 44 वर्षीय काश पटेल ने 2017 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में काम किया था। न्यूयॉर्क में जन्मे पटेल का नाता गुजरात से है। हालांकि, उनकी मां पूर्वी अफ्रीका में तंजानिया से और पिता युगांडा से हैं। वे 1970 में कनाडा से अमेरिका आ गए थे। पटेल ने पूर्व में पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हम गुजराती हैं।’

    बाइडेन सरकार में FBI के रहे आलोचक

    काश पटेल बाइडेन सरकार में खुफिया एजेंसी एफबीआई के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने एजेंसी से खुफिया जानकारी जुटाने की भूमिका समाप्त करने तथा उन कर्मचारियों को हटाने की मांग की है, जो ट्रंप के एजेंडे का समर्थन करने से इनकार करते हैं। इसके साथ ही पटेल ने जुलाई में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हमें सरकार में बैठे उन लोगों की पहचान करनी होगी, जो हमारे संवैधानिक गणराज्य को कमजोर कर रहे हैं।

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