मकानों को बुलडोजर से ढहाने की घटनाओं पर देश भर में चर्चा होती रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमानवीय और अवैध करार देते हुए कड़ा रुख अपनाया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने प्रयागराज की एक घटना पर सुनवाई करते हुए संवेदनशीलता और कानून के शासन पर जोर दिया है. अदालत ने पीड़ितो को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से प्रयागराज में मकानों को ध्वस्त किया गया, वह बेहद चौंकाने वाला और अमानवीय है. पीठ ने इसे मनमाना कृत्य बताते हुए कहा कि इससे उनकी अंतरात्मा कांप उठी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है और इसे छीनने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन जरूरी है. प्रशासन की यह असंवेदनशीलता नागरिकों के प्रति अन्याय को दर्शाती है.कोर्ट ने जोर देकर कहा कि आश्रय का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न हिस्सा है और कानून का शासन संविधान की मूल संरचना का आधार है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण को याद दिलाया गया कि नागरिकों के घरों को इस तरह बेतरतीब ढंग से नहीं गिराया जा सकता. पीठ ने प्रशासन को चेतावनी दी कि ऐसी कार्रवाइयों से संवैधानिक मूल्यों का हनन होता है.