राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को दुनिया में अपना योगदान देने के लिए एक महाशक्ति बनने की जरूरत है और इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में संघ की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र का दुनिया में एक विशेष उद्देश्य होता है और भारत का भी यही मिशन है.आरएसएस के 100 साल पूरे होने पर नई दिल्ली में व्याख्यान को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत आज़ादी के 75 वर्षों में वह वांछित दर्जा हासिल नहीं कर सका जो उसे मिलना चाहिए था. आरएसएस का उद्देश्य देश को विश्वगुरु बनाना है. भारत को दुनिया में योगदान देना है और अब वो समय आ गया है. भागवत ने कहा कि भारत का उत्थान एक धीमी और लंबी प्रक्रिया है, जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद शुरू हुई थी. उस समय देश ने यह विचार करना शुरू किया कि मुट्ठी भर अंग्रेजों के सामने भारत जैसा विशाल देश क्यों हार गया? इसके बाद स्वतंत्रता के लिए कई धाराएं चलीं.