ऑपरेशन सिंदूर से सबक लेकर भारतीय सेना अब तेजी से ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को अपनाती जा रही है. इस दिशा में सेना ने अपनी कई यूनिट को एक्टिव कर दिया है. देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी, महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल और चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में भी ड्रोन सेंटर स्थापित किए गए हैं. इस पहल का लक्ष्य सेना की सभी शाखाओं के सैनिकों के लिए ड्रोन संचालन को मानक और अनिवार्य बनाना है. गुरुवार को ही सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबली में ऐसे ही एक केंद्र का दौरा किया. जाहिर है कि भारतीय सेना ड्रोन क्षमताएं हासिल करने को लेकर काफी गंभीर है.ईगल इन द आर्म’ : हर सैनिक के हाथ में एक ड्रोनसेना के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना की यह नई सोच ‘ईगल इन द आर्म’ की अवधारणा पर आधारित है. इसका मतलब है कि हर सैनिक को अपने पारंपरिक हथियार की तरह ही ड्रोन चलाने में पारंगत होना चाहिए. इन ड्रोनों का उपयोग युद्ध, निगरानी, रसद आपूर्ति और घायलों तक चिकित्सा सहायता पहुंचाने में भी किया जाएगा. इसके साथ-साथ, काउंटर-ड्रोन उपायों को भी मज़बूत किया जा रहा है. यानी सैनिकों को ड्रोन के इस्तेमाल के साथ-साथ दुश्मन के ड्रोन से निपटने के तौर तरीके भी सिखाए जा रहे हैं.