कहते हैं जुर्म की सजा कभी न कभी भुगतनी जरूर पड़ती है. अब तमिलनाडु में 84 साल के बुजुर्ग को पत्नी पर अत्याचार के 18 साल पुराने मामले में जेल की हवा खानी पड़ेगी. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने बुजुर्ग पति को बरी करने के सेशन कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है और छह महीने की सजा बहाल कर दी है. हाईकोर्ट ने जजमेंट में कहा कि मानसिक और आर्थिक अत्याचार भी क्रूरता की श्रेणी में आते हैं. 1965 में शादी, 2007 में दर्ज हुआ केसहाईकोर्ट ने बुजुर्ग को पत्नी पर मानसिक और आर्थिक अत्याचार के मामले में दोषी मानते हुए छह महीने साधारण कैद की सजा सुनाई है. मामला तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के परमकुडी का है. आरोपी बुजुर्ग की 1965 में शादी हुई थी. 2007 में पत्नी ने अपने पति के खिलाफ मानसिक और वित्तीय अत्याचार की शिकायत दर्ज कराई थी. पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने उसे घर में ही अलग करके रखा, अलग खाना बनाने पर मजबूर किया. पति पर आरोप था कि वह पत्नी को उसके रिश्तेदारों से भी नहीं मिलने देता था और बार-बार अपमानित करता था.
