आजाद के इस्तीफे के बाद अब यह है कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती! कैसे मैनेज करेगी पार्टी

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के साथ ही अब कांग्रेस के लिए कई चुनौतियां सामने खड़ी हो गई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए होने वाली है। कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेता इस बात को स्वीकार करते हैं कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी में अंदरूनी कलह को दूर करेगा या संगठन को आने वाले चुनावों के लिए मजबूत करेगा। वैसे पार्टी से इस्तीफा देते वक्त गुलाम नबी आजाद ने इस बात का जिक्र किया है कि आने वाला अध्यक्ष भी कठपुतली की तरह ही काम करेगा।

    पार्टी को तलाशनी होगी ईमानदार वजह

    गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और पूर्व मंत्री ने बताया कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी में सब कुछ सही चल रहा है। वे कहते हैं कि पार्टी को इस बात को स्वीकार करना होगा कि बीते कुछ समय में जिस तरीके से कद्दावर नेताओं के जाने का सिलसिला जारी है आखिर उसकी वजह क्या है। उक्त कांग्रेस नेता का कहना है कि संभव है गुलाम नबी आजाद के जाने की तमाम वजह पार्टी खुद को दिलासा दिलाने के लिए तलाश ले। लेकिन उन तलाशी गई वजहों में ईमानदारी कितनी होगी इस बात का जरूर ध्यान रखना होगा।

    वरिष्ठ नेता का कहना है कि जब तक हम ईमानदारी से अपनी नाकामियों को नहीं पहचानेंगे और उन्हें दूर करने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक संगठनात्मक स्तर पर हम मजबूत नहीं होंगे। वो इस बात को स्वीकार करते हैं कि आने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनौतियां बहुत होगी। उनका कहना है कि चुनाव सिर पर हैं और हमें इस वक्त संगठनात्मक तौर पर पार्टी को गांव, शहर, कस्बे, जिले और प्रदेश स्तर पर मजबूत करना है। लेकिन पार्टी में इस वक्त हालात ऐसे हैं कि पहले अंदरूनी उठापटक को रोकना बेहद जरूरी है। ऐसे में जो भी पार्टी का नया अध्यक्ष बनेगा उसके लिए चुनौतियां निश्चित तौर पर बड़ी होंगी।

    राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि कांग्रेस को इमानदारी से पार्टी के नेताओं के फीडबैक और उनके अपने किए जाने वाले सर्वे को न सिर्फ समझना होगा, बल्कि उसे अमल में भी लाना होगा। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुखदेव कलेर कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा देना यह समझने के लिए काफी है कि पार्टी को अब किस तरह से आत्ममंथन करना चाहिए। कलेर कहते हैं कि आजाद के इस्तीफा देने के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार इस तरीके के बयान आ रहे हैं कि पार्टी ने उनको क्या-क्या नहीं दिया। ऐसे में आजाद का यह फैसला ठीक नहीं है। कलेर कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि गुलाम नबी आजाद को राजनीति में जो कुछ मिला वह कांग्रेस की बदौलत मिला। लेकिन वह यह भी सवाल उठाते हैं कि जिस व्यक्ति ने 50 साल पार्टी में दे दिए हों क्या उसे इस तरीके से दरकिनार किया जाना चाहिए कि वह इस्तीफा देने पर मजबूर हो जाए और अपने ही नेता के बारे में इतना सब कुछ कहने लगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे की कॉपी को अगर ढंग से पढ़ा जाए, तो उसमें स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी को बेहतर राजनेता बताया गया है। जबकि उन्होंने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है।

    नए अध्यक्ष को क्या विरासत में चुनौतियां मिलेंगी?

    कांग्रेस का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल पर पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता कहते हैं यह तो अभी तय होना बाकी है लेकिन वह यह जरूर कहते हैं कि नए अध्यक्ष के लिए हमें एक ऐसा माहौल देना होगा, जिससे वह संगठन को मजबूत करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकें। पार्टी से जुड़े नेता कहते हैं कि अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की सफलता और असफलता इसी रोडमैप पर निर्भर करती है कि उसे विरासत में मिल क्या रहा है। वे कहते हैं कि अगर इसी तरीके की उठापटक जारी रही तो निश्चित तौर पर अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी तमाम चुनौतियां होंगी। हालांकि गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में इस बात का जिक्र किया है कि कांग्रेस का अगला जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा वह कठपुतली होगा। इस पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हर इस्तीफा देने वाला ऐसे ही आरोप लगाता है। इसलिए किसी भी तरीके की भविष्यवाणी पर कोई जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।

    कांग्रेस का चार सितंबर को होने वाला महंगाई पर हल्ला बोल का आंदोलन और उसके बाद कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो पदयात्रा भी होनी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की है कि ऐसे माहौल में पार्टी किस तरीके से अपने एक बड़े समुदाय और कार्यकर्ताओं को जोड़ेगी। हालांकि कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि पार्टी अपने सभी आंदोलनों को बेहतर तरीके से और बखूबी अंजाम तक लेकर जाएगी। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब राज्यसभा नहीं मिली तो गुलाम नबी आजाद को गुलामी खटकने लगी। वे कहते हैं कि अपने इस्तीफे में उन्होंने इतने सारे पद गिना दिए वह कांग्रेस की ही देन है। खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की आज जो स्थिति है. वह गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं की वजह से ही है।

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