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महाकुंभ और ‘योगी 2.0’: हिंदुत्व की नई धार और सनातन अवतार का सार समझिए

महाकुंभ तो खत्म हो गया, पर अब इस पार राजनीति तेज हो गई है. हरि अनंत, हरि कथा अनंता की तरह. देश की राजनीति में बीजेपी ने एक नया एजेंडा रख दिया है. मोदी और योगी की जोड़ी ने नई पॉलिटिकल लाइन खींच दी है,सनातन समर्थक और सनातन विरोधी की. विपक्ष के चुभते सवालों को सनातन के खिलाफ बताने की रणनीति है. फार्मूला ये है कि महाकुंभ पर सवाल उठाए तो हम इसे आस्था पर सवाल बताएंगे. हिंदुत्व की जगह सनातन ने ले ली है…महाकुंभ के नाम पर देश की राजनीति एक नए मोड़ पर है. अयोध्या में राम मंदिर बन चुका, तो अब हिंदुत्व की गाड़ी कैसे आगे बढ़े. इसीलिए चाल, चरित्र और चेहरा सब बदलने की तैयारी है. हिंदुत्व की जगह सनातन ने ले ली है. अब राम का नाम नहीं, महाकुंभ का काम चलेगा. पीएम नरेन्द्र मोदी ने बिहार से इस एजेंडे की घोषणा कर दी है. अब इसे आगे बढ़ाने में जुटे हैं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. इसी बहाने वे पीएम मोदी के बाद बीजेपी में सनातन के सबसे बड़े ध्वज वाहक बने हैं. संघ की शक्ति और उसका सामर्थ्य भी इस मुद्दे पर उनके साथ है. पीएम मोदी के पोस्ट का अर्थ बहुत गहरासंयोग देखिए. योगी आदित्यनाथ लखनऊ से प्रयागराज जाने के लिए तैयार हो रहे थे. महाकुंभ में अनवरत सेवा करने वालों का आज उन्हें सम्मान करना था. ठीक उसी समय पीएम नरेन्द्र मोदी का सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट आता है. वे लिखते हैं “यूपी का सांसद होने के नाते मैं गर्व से कह सकता हूं कि योगी जी के नेतृत्व में शासन, प्रशासन और जनता ने मिलकर, इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया. केंद्र हो या राज्य हो, यहां ना कोई शासक था, ना कोई प्रशासक था, हर कोई श्रद्धा भाव से भरा सेवक था. हमारे सफाईकर्मी, हमारे पुलिसकर्मी, नाविक साथी, वाहन चालक, भोजन बनाने वाले, सभी ने पूरी श्रद्धा और सेवा भाव से निरंतर काम करके इस महाकुंभ को सफल बनाया.”

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