यूनेस्को के अनुसार, दरअसल अल-अय्यला एक सांस्कृतिक परफॉर्मेंस है. इसमें कविता, ड्रम म्यूजिक और डांस शामिल है, और इसके जरिए एक युद्ध के दृश्य को दिखाया जाता है. पारंपरिक पोशाकें (मोस्टली सफेद गाउन) पहने लड़कियां अपने लंबे बालों को इधर-उधर फैलाते हुए एक पंक्ति में सबसे आगे खड़ी होती हैं. लगभग बीस पुरुषों की दो लाइन होती है और उनके चेहरे एक-दूसरे की होते हैं, जो भाले या तलवार की तरह बांस की पतली छड़ियां हाथ में रखते हैं. इसमें सभी उम्र, लिंग और सामाजिक वर्ग के लोग शामिल होते हैं.
