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पाकिस्‍तान में 48 घंटे में 344 मौतें, खैबर से लेकर बलूचिस्‍तान में कुदरत क्यों मचाती है इतना कोहराम

भारत के पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान में रविवार को हजारों की तादाद में बचावकर्मियों ने बारिश और घुटनों तक कीचड़ से जूझते हुए, अचानक आई बाढ़ के बाद जीवित बचे लोगों की तलाश में विशाल चट्टानों के नीचे से घरों को खोद डाला है. उत्तरी पाकिस्‍तान में आई बाढ़ में कम से कम 344 लोगों की मौत हो गई है. ज्‍यादातर मौतें खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुईं, जहां आने वाले दिनों में मॉनसून की बारिश और भी बदतर होने की संभावना है. और भी ज्‍यादा हैरान करने वाली बात यह है कि सिर्फ 48 घंटे यानी दो दिन में ये मौतें हो गई हैं. बड़ा सवाल यही है कि आखिर पाकिस्‍तान में हर साल बाढ़ क्‍यों इतनी तबाही मचाती है? मॉनसून की बारिश से आई बाढ़ और भूस्खलन में खैबर के कई घर नष्‍ट हो गए. एक क्षेत्रीय बचाव कर्मी ने न्‍यूज एजेंसी एएफपी को बताया है कि सबसे ज्‍यादा असर बुनार इलाके में पड़ा है जहां पर कम से कम 208 लोगों की मौत हो गई है. सिर्फ इतना ही नहीं 10 से 12 पूरे के पूरे गांव दब गए हैं. वहीं एक पूरे जिले के 250 से ज्‍यादा लोग गायब हैं.साइंस मैगजीन नेचर की इस साल मई में आई रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्‍लोबल स्‍तर पर भले ही कार्बन उत्सर्जन मामले में पाकिस्‍तान का योगदान बेह‍द कम हो लेकिन फिर भी यह कभी गंभीर सूखे तो कभी खतरनाक मॉनसूनी बारिश जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मुल्‍क में बाढ़ में खासा इजाफा हुआ है. साल 2010 फिर 2011, 2014, 2016, 2018, 2019 में हर बार देश ने विनाशकारी बाढ़ को झेला है.

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