चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव जगजाहिर है. इसी बीच चीन के राजदूत शू फेहॉन्ग ने भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का विरोध किया और दोनों देशों को एक-दूसरे का साझेदार बनने की वकालत की. अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने के कारण 50% तक टैरिफ लगा दिया, जिसे चीन ने ‘दबंगई’ करार दिया. इस बीच, भारत और चीन, 2020 की गलवान झड़प के बाद तनाव के बावजूद, अपने रिश्तों को बेहतर करने की ओर बढ़ रहे हैं. शू ने भारत-चीन को एशिया का ‘डबल इंजन’ बताया और पीएम मोदी की आगामी चीन यात्रा को रिश्तों में नई जान फूंकने वाला कदम करार दिया.बात शुरू होती है साल 2025 के अगस्त महीने से, जब विश्व मंच पर देशों के बीच व्यापार और कूटनीति का खेल अपने चरम पर था. अमेरिका, जो लंबे समय से वैश्विक व्यापार का ‘बड़ा भाई’ माना जाता था, अब भारत जैसे उभरते देशों पर टैरिफ की तलवार लटका रहा था. पहले 25% टैरिफ, फिर और 25% की धमकी! वजह? भारत का रूस से सस्ता तेल और हथियार खरीदना, जिसे अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद मान लिया. लेकिन भारत का तर्क साफ था कि वो अपने करोड़ों गरीब नागरिकों को महंगाई से बचाने के लिए सस्ता तेल खरीद रहा था. भारत ने यह भी याद दिलाया कि बाइडन प्रशासन ने ही उसे वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए रूस से तेल लेने को कहा था. फिर यह नाराजगी क्यों?