कोर्ट ने आतंकियों को सजा देते हुए की तल्ख टिप्पणी, कहा- देशद्रोह से बड़ा कोई अपराध नहीं

    हिजबुल मुजाहिद्​दीन (एचएम) के चार आतंकियों को कारावास की सजा सुनाते हुए अदालत ने की तल्ख टिप्पणियां की है। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रवीन सिंह ने माना कि निश्चित तौर पर आतंकियों को किसी भी प्रत्यक्ष आतंकी कृत्य के लिए दोषी ठहराया गया है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ हो, लेकिन जम्मू-कश्मीर में दशकों से चल रहे छद्म युद्ध ने कई लोगों की जान ली है और राज्य की संपत्तियों का विनाश हुआ है।

    देशद्रोह से बड़ा कोई अपराध नहीं

    अदालत ने कहा कि शाह एचएम का डिवीजनल कमांडर था। उसे देशद्रोह जैसे अपराध के लिए दोषी पाया गया है और देशद्रोह के अपराध से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है, जो सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करता हो। अदालत ने आतंकी फंडिंग को आतंक के रूप में स्पष्ट करते हुए कहा कि अदालत को लगता है कि वह हाथ जो बंदूक उपलब्ध कराते हैं या बंदूक उठाने के लिए प्रेरित हैं वे आखिरकार बंदूक चलाने वाले हाथ के समान ही उत्तरदायी होता है।

    टेरर फंडिग से तबाह हुआ मानव जीवन

    अदालत ने कहा कि मुख्य रूप से आतंकी वित्तपोषण के लिए दोषी ठहराए गए दोषियों ने एचएम की गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराया था और उस धन का उपयोग संपत्ति के विनाश और मानव जीवन को नष्ट करने के लिए किया गया था। ऐसे में केवल इसलिए कि दोषी सीधे तौर पर लोगों की जान लेने व संपत्ति को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार नहीं है, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि वे एचएम की आतंकवादी गतिविधियों के कारण जान गवाने वाले लोगों व संपत्तियों के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

    फंडिंग नेटवर्क चलाने वाले ज्यादा जिम्मेदार

    अदालत ने कहा कि उन्होंने पाया कि पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर फंडिंग नेटवर्क चलाने वाले दोषी एचएम द्वारा किए गए आतंकी कृत्यों के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं, क्योंकि इस तरह की फंडिंग के अभाव में आतंकवादी गतिविधियों को करना संभव नहीं होता। ऐसे में अदालत को लगता है कि आतंकी फंडिंग को भले ही हम उच्च श्रेणी में न रखें, लेकिन आतंकी कृत्य की वास्तविक श्रेणी में रखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि देश की नींव पर प्रहार करने का षड़यंत्र रचा था और षड़यंत्र को अंजाम देने का काम किया था।

    सजा के साथ लगाया जुर्माना

    अदालत ने आतंकवादी मुहम्मद सैफी शाह व मुजफ्फर अहमद डार को 12-12 साल कारावास की सजा सुनाई और तालिब लाली और मुश्ताक अहमद लोन को दस-दस साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही शाह पर 50 हजार रुपये, डार पर 65 हजार रुपये, लाली पर 55 हजार रुपये और लोन पर 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। चारों दोषियों को आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाने, आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रचने, आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया। इसके अलावा सभी को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश रचने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, या युद्ध छेड़ने का प्रयास, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने के लिए भी दोषी ठहराया गया।

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