पुणे पोर्श एक्सीडेंट मामले में पुणे पुलिस को किशोर न्याय बोर्ड से झटका लगा है. मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए बोर्ड ने पुणे पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें नाबालिग आरोपी को एडल्ट की तरह ट्रीट करने की मांग की थी. यानी किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी को बालिग की तरह ही समझते हुए केस चलाने की अनुमति नहीं दी है.इस दुर्घटना में दो सॉफ्टवेयर पेशवरों की मौत हो गई थी. दोनों के पिता ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि ये पैसा और पावर का एक और उदाहरण है. इससे एक बार फिर बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगेगा.अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि एक साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा बर्खास्त किए गए बोर्ड सदस्यों की जगह किसी की नियुक्ति नहीं की गई तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एक महीने के अंदर ही लोगों की नियुक्ति कर दी गई और फैसले ले लिए गए… इसके बाद तो उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे ही. उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही पूरे देश ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई थी, जो व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, उसे किशोर कैसे माना जा सकता है. मुझे लगता है कि उसके साथ वयस्क जैसा व्यवहार करने का कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए था.